मन में क्या हलचल है, नींद कहाँ?
पहले तो सोचना ही थोड़ा असंभव है. मन एक भीतर का घेरा चला रहा है. हर पल कुछ नया, कुछ अनजान.. विचारों की एक मौत हो रही है. एक तो नींद कहाँ? read more अरे
पहले तो सोचना ही थोड़ा असंभव है. मन एक भीतर का घेरा चला रहा है. हर पल कुछ नया, कुछ अनजान.. विचारों की एक मौत हो रही है. एक तो नींद कहाँ? read more अरे